Social Media Update: सोशल मीडिया कंपनियों की नई गाइडलाइन पर साइबर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

नई दिल्ली, रितेशु सेन। भारत सरकार ने इस वर्ष सभी किस्म की सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म कंपनियों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किये थे. जिसके लिए केंद्र सरकार ने उन कंपनियों को 3 महीने का वक़्त दिया था. उन गाइडलाइन को फॉलो करना तो दूर, कंपनियों ने अब तक सरकार का जवाब तक नहीं दिया। हालाँकि, एक्सपर्ट्स ने इस मुद्दे पर ना ही सिर्फ विचार किया, बल्कि एक स्पष्ट बयान भी दिया है.

क्या कहना है एक्सपर्ट्स का ?

न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि इतने कम समय में सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म चाहकर भी भारतीय सरकार की नवीनतम गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं कर सकते हैं. ऐसा करने में उन्हें कम से कम एक वर्ष का वक़्त तो लगेगा ही. ऐसा इसलिए क्यूंकि, इन दिशा निर्देशों को पूर्णरूप से अनुसरण करने के लिए कंपनियों को टेक्निकल वे में काफी कुछ बदलाव करना होगा।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और सार्वजनिक नीति थिंक टैंक इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के संस्थापक कनिष्क गौर के मुताबिक, “आज देशभर में अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म को छोड़कर, केवल व्‍हाट्सएप के ही तकरीबन 50 करोड़ यूजर्स हैं. इतने सारे लोगों के एंड टू एंड कंम्‍यूनिकेशन सुरक्षित रखना खुद में ही एक बड़ी बात है. अब अगर ये कंपनियां सरकार की नई गाइडलाइन को फॉलो करती हैं तो, उन्हें कंप्‍यूनिकेशन प्रोटोकाल का उल्‍लंघन करना पड़ेगा। अब जब कंपनियां इतने सरे लोगों के डेटा स्टोर करने की प्रक्रिया आरम्भ करती है तो, वह काफी टाइम टेकिंग प्रोसेस हो जायेगा। और उसके बाद उन्हें फिर यह भी ध्यान रखना होगा कि कोई इन डेटा को हैक न कर ले.”

विशेषज्ञों की राय

इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि, फिलहाल कंपनियों को वो तो करना चाहिए जो कम समय में संभव है. इसके अलावा, साइबर सिक्‍योरटी कंसल्‍टेंट और वी4वेब साइबर सिक्‍योरिटी के फाउंडर रीतेश भाटिया भी सलाह देते हैं कि, “यह स्पष्ट है कि, कंपनियों को नया मैकेनिज्‍म तैयार करना होगा। एक पूरा नया सेटअप स्‍थापित करना होगा, जो निश्चिततौर पर इतने कम समय में संभव नहीं है. लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म को यह भी समझना होगा कि, प्राइवेसी के साथ साथ देश की सुरक्षा भी अनिवार्य है. ऐसे में सबसे उत्तम यह होगा कि, मामले को कोर्ट तक घसीटने के बजाए सरकार और कंपनिया बैठकर एक बार रे मिला लें. कंपनियां सरकार की गाइडलाइन्स को फॉलो करने से सहमत होकर, तकनीकी तौर पर अपना पक्ष रखे तो सरकार भी समय दे देगी। सरकार और कंपनियों को मिलकर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए।”