दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। उत्तरी निगम ने बुधवार को सदन बैठक में 33 ग्रामीण गांवों को शहरीकृत गांव का दर्जा देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। निगम की ओर से प्रस्ताव पास होने के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को भी सूचित कर दिया जाएगा। गांवों की श्रेणी बदलने से यहां होने वाले विकास कार्यों को रफ्तार मिल सकेगी। दिल्ली के लगभग 350 गांवों में से 81 गांव ऐसे हैं जो अनधिकृत कॉलोनियों या शहरीकृत आबादी के बिल्कुल नजदीक आते हैं। इन्हीं 81 में से 33 गांवों को बुधवार को उत्तरी निगम ने पास किया है। इससे इन गांवों में रहने वाले लगभग छह से आठ लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
गांवों की श्रेणी बदलने और नियमित होने के बाद स्थानीय निगम पार्षद और विधायक गांवों में सड़कें, गलियां, नालियां, समुदाय भवन जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा सकेंगे। अभी तक इन गांवों में निगम पार्षदों का फंड उपयोग नहीं हो पाता है। कई मामलों में दिल्ली सरकार के विधायक भी फंड खर्च करने में खुद को असमर्थ पाते हैं। ऐसे में गांवों की श्रेणी बदले जाने के बाद वहां विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
– ये हैं 33 गांव,
कुतुबगढ़, जौंती, गढ़ी रनधाला, पंजाब खोड़, पूठ कलां, मुबारकपुर, रानी खेड़ा, मदनपुर डबास, निठारी, बेगमपुर, होलंबी कलां, हरेवली, नरेला मामुरपुर, पंसाली, मामुरपुर, सन्नौठ, बरवाला, नरेला, लामपुर, नरेला बांकनेर, बांकनेर, कुरैनी, शाहबाद, दौलतपुर, प्रहलादपुर बांगर, भाेरगढ़, झंगोला, हिरणकी, बख्तावरपुर, घोघा, सिंघू, होलंबी खुर्द, खेड़ा कलां और टीकरी खुर्द।