
नई दिल्ली, रितेशु सेन: दिल्ली नगर निगम के हाल ही में हुए उपचुनाव (delhi by election) ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में किसकी सत्ता होगी और कौन सिमट के रह जाएगा। बात अगर बुधवार को राजधानी के 5 वार्डों में हुए उपचुनाव (delhi by election) के परिणाम को देखते हुए करें तो, आने वाले समय में आप ने अपना रास्ता पूर्णरूप से खोल दिया है.
दिल्ली में हुए उपचुनाव (delhi by election) में आम आदमी पार्टी के 5 में से 4 वार्डों में ज़बरदस्त विजय का परिचम लहराने को देखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ ये अनुमान लगा रहे है कि, आने वाले चुनाव में भाजपा का पत्ता लगभग पूरी तरह से साफ है क्योंकि राजधानी में इसका कहीं भी बोल बाला नहीं रहा. वहीं कुछ का कहना है कि कांग्रेस की वोटिंग डाटा में भी तेज़ी से गिरावट देखने को मिल सकती है.
क्या कहता है कांग्रेस का वोटिंग डाटा
कांग्रेस का 2016 और 2017 का ग्राफ देखें तो, कांग्रेस को वर्ष 2016 में 13 वार्डों के उपचुनावों (delhi by election) में लगभग 30.9 फीसद मत मिले थे. वर्ष 2017 में राजौरी गार्डन में 33.23 फीसद और बवाना उपचुनाव में 24.21 मत मिले और दोनों बार यह दूसरे नंबर पर रही. साल 2021 में 5 वार्ड के उपचुनाव में केवल 1 वार्ड “चौहान बांगर” में कांग्रेस ने 73.76 फीसद मतों से अपनी शानदार जीत दर्ज की है जबकि बाकी 4 वार्डों में शालीमार बाग, रोहिणी सी, कल्याणपुरी, त्रिलोकपुरी में आप ने बाजी मारी है.
अब सवाल यह उठता है कि, जहाँ आम आदमी पार्टी दिल्ली से लेकर गुजरात तक भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए लोगों के दिलों में अपनी जगह बना रही है. तो वहीं, भविष्य में कांग्रेस का कौन मायबाप होगा.
राजनीतिक जानकारों की माने तो, मुस्लिम और कृषि समुदाय कहीं न कहीं कांग्रेस को सहयोग कर रहें हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मुस्लिम बहुल उसी पार्टी का चयन करती है जो भाजपा को टक्कर दे सके और किसानों की कृषि कानूनों को लेकर भाजपा से नाराजगी उसके हार का सबब बनी हुई है. इसका मतलब यह कहना गलत नहीं होगा कि किसानों और मुस्लिम समुदाय को आम आदमी पार्टी से ज्यादा विश्वास कांग्रेस पर है.