ऐसी छूट से तो लॉकडाउन बेहतर: वरुण आर्य

ऐसी छूट से तो लॉकडाउन बेहतर: वरुण आर्य

  • चौथे लॉकडाउन में खूब उड़ रही सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां
  • खाने के ठेलों पर उमड़ रही भीड़, ऑटो, ई-रिक्शा में तय सीमा से ज्यादा लोग
  • चौथे लॉकडाउन में सिर्फ कोरोना के मामले ही नहीं, खतरा भी बढ़ा, सख्ती जरूरी

नई दिल्ली. सत्यकेतन समाचार। “हमने तुम्हें ऊँगली क्या थमाई, तुम तो सिर पर ही चढ़ गए”। लॉकडाउन 4.0 में एकाएक दी गई ‘भारी’ छूट के बाद दिल्ली की हालत बिल्कुल ऐसी ही हो गई है। इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चौथे लॉकडाउन में लोग सोशल डिस्टनसिंग की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। खाने के ठेलों पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है, बाइक पर एक के बजाए दो से तीन लोग सफर कर रहे हैं और ई-रिक्शा वालों ने तो मजाक ही बना दिया है। वे चार-चार सवारी बिठाए घूम रहे हैं। ऐसी छूट से तो सख्त लॉकडाउन ही बेहतर था।

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उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन का चौथा चरण 18 मई से शुरू हुआ था। 31 मई तक जारी रहने वाले इस लॉकडाउन के तहत सरकार ने कई नई छूट का ऐलान किया था। इसके तहत जहां एक तरफ ऑड-इवन के आधार पर दुकानें खोलने की अनुमति दी गई वहीं दूसरी तरफ बसें, ऑटो और ई-रिक्शा जैसे सार्वजनिक परिवहन भी खोल दिए गए। बस में सिर्फ 20 तथा ऑटो और ई-रिक्शा में सिर्फ एक सवारी के बैठने की अनुमति दी गई। इसी तरह बाइक पर सिर्फ एक और कार व टैक्सी में ड्राइवर के अलावा दो लोगों को ही बैठने की छूट दी गई।

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इस छूट का खामियाजा पहले दिन से ही सामने आने लगा जब लोगों ने सरेआम लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाना शुरू कर दिया। अगर डीटीसी बसों को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी सोशल डिस्टनसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। बाइकों पर एक के बजाए दो (कहीं-कहीं तीन भी) लोग आसानी से सफर करते दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह ऑटो में भी दो से तीन लोग खुलेआम आवाजाही कर रहे हैं। सबसे ज्यादा तमाशा तो ई-रिक्शा वालों ने बनाया है जो सोशल डिस्टनसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए एक साथ चार-चार लोगों को लेकर चल रहे हैं। रही-सही कसर ठेले-खोमचों पर खाने-पीने का सामान बेचने वालों ने पूरी कर दी है जिनपर लोगों की भीड़ पहले की तरह उमड़ने लगी है। इन हालातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि कोरोना से बचाव और सोशल डिस्टनसिंग के लिए इस छूट से बेहतर तो लॉकडाउन और सख्ती ही है।

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