करतारपुर: भारत ने सौंपी 575 श्रद्धालुओं की सूची, जत्थे में मनमोहन और अमरिंदर शामिल

करतारपुर: भारत ने सौंपी 575 श्रद्धालुओं की सूची, जत्थे में मनमोहन और अमरिंदर शामिल

करतारपुर: केंद्र सरकार ने करतारपुर साहिब जाने वाले पहले जत्थे की सूची जारी कर दी है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी उन 575 लोगों में शामिल हैं जो करतारपुर गलियारे के जरिये पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने वाले पहले जत्थे का हिस्सा होंगे।

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और पंजाब के सांसद और विधायक भी इस समूह का हिस्सा होंगे। मंगलवार को भारत ने पाकिस्तान को 575 लोगों की सूची पाकिस्तान सौंपी। जानकारी मिली है कि पाकिस्तान ने एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) और डीएसजीएमसी (दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) के प्रतिनिधियों के साथ पंजाब सरकार की अगुवाई वाले समग्र प्रतिनिधिमंडल को ‘अखंड पाठ’ (पवित्र ग्रंथ का संपूर्ण पाठ) और ननकाना साहिब में ‘नगर कीर्तन’ आयोजित करने से मना कर दिया था।

जानकारी मिली है कि पंजाब सरकार के 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और 450 भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा नहीं दिया गया है, जबकि भारत सरकार ने पाकिस्तानी उच्चायोग से इसके लिए अनुशंसा की थी। यह भी जानकारी मिली है, कि पाकिस्तान ने खुद से श्रद्धालु समूह का नेतृत्व करने के लिए परमजीत सिंह सरना को चुनने का फैसला किया है।

पाकिस्तान ने भारत द्वारा दिए गए उस प्रस्ताव पर अब तक जवाब नहीं दिया है जिसमें 12 नवंबर को ‘गुरुपर्व’ पर यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 1974 के प्रोटोकॉल के तहत 3000 की जगह 10 हजार करने को कहा गया था। पाकिस्तान करतारपुर गलियारे का निर्माण गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक सेक्टर में भारतीय सीमा से पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब तक कर रहा है।

राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए जत्थे का नेतृत्व करेंगे और ऐतिहासिक गुरुद्वारे में मत्था टेकने के बाद उसी दिन वापस लौट आएंगे। ऐसा माना जाता है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब में ही गुरु नानक देव ने अपने आखिरी दिन बिताए थे। जत्था सदस्यों में सभी दलों के नेता, संत समाज के नेता, प्रबुद्ध लोग, एनआरआई और पत्रकार शामिल हैं।

जत्थे में पंजाब के सभी 117 विधायक और 13 सांसद शामिल होंगे। भारत और पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं के ऐतिहासिक गुरुद्वारे की यात्रा के लिए पहले ही एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।

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