नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इतिहास के सबसे लंबा भाषण पढऩे के बाद देश के लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम रही। देश को भरोसा था कि निर्मला सीतारमण बजट में गिरती विकास दर, जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, मांग, निवेश, खपत और आय को बढ़ाने के लिए बड़े कदम बजट में अवश्य उठाएंगी। लेकिन ऐसा कुछ दिखाई ही नहीं दिया।
पूरे भाषण में बेरोजगारी और ग्रामीण संकट जैसे कई मुद्दों पर तो चर्चा ही नहीं हुई। अगर ये कहें कि निर्मला के पिटारे से आम लोगों की झोली नहीं भर पाई तब वह गलत नहीं होगा।
जनता की राय जानने के लिए हुए ऑनलाइन सर्वे में 82.3 प्रतिशत लोगों ने माना कि सरकार का बजट उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहा। इसके साथ ही 17.7 प्रतिशत लोगों ने इस बजट को सही बताया।
बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे बजट में सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिये नौकरी पेशा करदाताओं को आयकर में राहत देने वाले नये कर ढांचे के साथ ही कंपनियों को लाभांश वितरण कर से मुक्ति देने और आम आदमी के जीवन को आसान बनाने के लिये खेती, किसानी और ढांचागत क्षेत्र में रिकार्ड खर्च करने की नई योजनायें घोषित की। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि अपेक्षाओं से यह बजट काफी दूर है।