
नई दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। कोरोना वायरस के खतरनाक रूप को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक सप्ताह के लॉकडाउन का आदेश पारित कर दिया। इसी बीच दिल्ली सरकार ने 20 अप्रैल से शिक्षा सम्बंधित कई किस्म के नियम और निर्देशों को लागू किए हैं. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के चलते लगभग 20,000 से अधिक अतिथि शिक्षकों की सेवाएं भी समाप्त कर दी हैं।
क्या है दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय?
दिल्ली सरकार ने सोमवार यानि 20 अप्रैल से स्कूलों में समर वेकेशन की घोषणा कर दी है. यही नहीं, तकरीबन 20,000 से अधिक अतिथि शिक्षकों की सेवाएं भी समाप्त कर दी हैं। दिल्ली शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार, सभी अतिथि शिक्षकों को केवल 19 अप्रैल 2021 तक का वेतन दिया जाएगा। इसके साथ ही, अगर किसी अतिथि शिक्षक को स्कूल प्रमुखों द्वारा COVID-ड्यूटी सौंपी जाती है तो ही उन्हें लॉकडाउन अवधि और गर्मियों की छुट्टी का भुगतान किया जाएगा।
स्कूलों के उच्च अधिकारीयों का कहना है कि, “डीओई (Directorate of Education) ने घोषणा में कहा है कि अतिथि शिक्षकों को केवल आवश्यकता पड़ने पर ही बुलाना संभव हो पाएगा अब. और उन शिक्षकों को नियमानुसार ही वेतन उपलब्ध कराया जाएगा। जिसके बाद, अखिल भारतीय अतिथि शिक्षक (एआईजीटीए) समेत कई अन्य शिक्षक संस्थानों ने इस आदेश के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि, इससे तो अतिथि शिक्षकों के लिए आजीविका संकट पैदा हो जाएगा। कुछ अतिथि शिक्षकों ने यह भी कहा कि, पिछले साल भी अपना घर चलाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों को योग्य होने के बावजूद सड़कों पर उतर सब्जी बेचने और अन्य छोटे-मोटे कार्य करने पड़ रहे थे.
शिक्षक एसोसिएशन ने नाराज़गी दिखा कर, कही यह बातें
अतिथि शिक्षकों और अन्य एसोसिएशन ने दिल्ली में सत्ताहित सरकार, अरविंद केजरीवाल से पिछले साल की स्थिति को याद दिलाते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। उन्होंने उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री, मनीष सिसोदिया के समक्ष भी अपनी अपील रखी है।
सोशल मीडिया पर भी लोग जमकर कर रहे इसकी निंदा
बता दें, दिल्ली में इस निदेशालय के पारित होने के बाद कई लोगों में फूटा आक्रोश। जहाँ, ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन ने ट्वीट कर लिखा कि, “कोरोना महामारी के कठिन समय मे 25000 से ज्यादा गेस्ट टीचर्स की नौकरी छीनना मनीष सिसोदिया जी की अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है,पिछले साल भी गेस्ट टीचर्स को बेरोजगार किया,सब्जी बेचकर,पंचर लगाकर अपनी रोजीरोटी चलाई थी. इस बार फिर सड़क पर आ गये है और फिर से भूखे मरने की नौबत आएगी।” वहीँ, दिल्ली स्कूल टीचर्स फोरम ने कहा कि, ” दिल्ली स्कूल टीचर्स फोरम सरकार के इस निर्णय की निंदा करता है और मनीष सिसोदिया से आग्रह करता है कि इस निर्णय पर दोबारा विचार किया जाए।”
इसके अलावा, कई शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों और अन्य नागरिकों ने भी सोशल मीडिया के सहारे अपना गुस्सा उतारना शुरू कर दिया है.