कोरोना वायरस के चलते हर 5 में 1 भारतीय मनोरोग का शिकार

कोरोना वायरस के चलते हर 5 में 1 भारतीय मनोरोग का शिकार

1 out of every 5 Indian psychiatric victims due to corona virus

नई दिल्ली। इंडियन साइकेट्री सोसायटी के एक ताजा सर्वे के मुताबिक, मनोरोगियों में 20 फीसद तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। दुनिया में कोरोना वायरस ने जब से दस्तक दी है, तब से लोगों के रहन-सहन में अप्रत्याशित तब्दीली देखी जा रही है। इस महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई है जिसका असर लोगों की सोच पर देखा जा रहा है।

इंडियन साइकेट्री सोसायटी के हालिया सर्वे में बताया गया है कि महज कुछ हफ्ते में ही मनोरोगियों की संख्या में 15-20 फीसद का इजाफा देखा गया है। वजह यह है कि कोरोना वायरस फैलने के बाद लोगों के दिमाग में नकारात्मकता तेजी से फैल रही है और लोग दबाव में जीने को मजबूर हैं। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब लॉकडाउन से लोगों को अपने घरों में कैद होना पड़ा।

लिहाजा काम-धंधा, नौकरी, कमाई, बचत यहां तक कि बुनियादी साधन पर भी संकट मंडराता दिख रहा है। इस गंभीर दशा के बारे में नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल के मेंटल हेल्थ एंड विहेविएरल साइंस की विभागाध्यक्ष डॉ मंजू तिवारी ने कहा कि मनोरोग का ग्राफ बढ़ रहा है और आने वाले वक्त में इसमें और भी तेजी देखी जा सकती है। डॉ तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन ने लोगों के रहन-सहन पर गहरा असर छोड़ा है। लोग सीमित संसाधनों के साथ घरों में रह रहे हैं। ऐसे में वे अवसाद और अल्कोहल विड्रॉल सिंड्रोम जैसी समस्या से जूझ रहे हैं।

डॉ. मंजू तिवारी ने कहा, अभूतपूर्व स्थिति (लॉकडाउन) और रोगियों का अधिक कमजोर समूह इस बीमारी की जद में आने का बड़ा खतरा है, विशेष रूप से रोगियों को यह एहसास भी नहीं है कि उन्हें कोई बीमारी है। ज्यादातर वे लोग हैं जो बहुत अधिक बुढ़ापे की चिंता करते हैं, किसी चीज के आदी हैं या शराब पीने की आदत से पीड़ित हैं। हालांकि, आनुवांशिक विकार वाले कुछ लोग भी इसका एक हिस्सा हैं। बता दें, इस साल जनवरी महीने में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने एक आंकड़ा जारी किया था जिसमें बताया गया था हर 5 में एक भारतीय मनोरोग की समस्या से जूझ रहा है। अब जब पूरा देश लॉकडाउन में है, तो इस समस्या और भी इजाफा देखा जा सकता है।

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